रुद्रप्रयाग: अब वो जमाने लद गए जब बच्चों को सिर्फ पढ़ाई लिखाई में आगे बढ़ने के लिए कहा जाता था। अब तो उत्तराखंड के युवा लगातार खेलों में अपनी शक्ति दिखाकर नाम रौशन कर रहे हैं।
Rudraprayag Angad Bisht won mma world championship
भारत में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमा रहा है. लेकिन बाकी खेलों की तरह इसमें करियर उतना सुरक्षित नहीं माना जाता। चोटिल होने का खतरा भी काफी ज्यादा है. इसके बावजूद उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के अंगद बिष्ट इसी खेल में अपना मुकाम बनाने की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं. अंगद ने दुबई में इतिहास रच दिया है। उन्होंने मैट्रिक फाइट नाइट वर्ल्ड चैपियनशिप में जीत हासिल की है। रुद्रप्रयाग के पट्टी धनपुर के चिंग्वाड गांव के रहने वाले अंगद बिष्ट फ्री स्टाइल फाइटर हैं। उनके पिता मोहन सिंह बिष्ट मिठाई की दुकान चलाते हैं। पढ़ाई लिखाई की बात करें तो वह हमेशा से अव्वल रहे। जवाहर नवोदय विद्यालय देहरादून से 12वी पास किए है। वो बचपन में डॉक्टर बनने का ख्वाब देखते थे और यही चाहते थे कि बड़े होकर इसी क्षेत्र में लोगों की सेवा करें। देखिए किस्मत कहां ले आई..मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोचिंग करने के दौरान उनकी रुचि जिम और फिटनेस की तरफ बढ़ी। यहीं से अंगद को मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स फाइटर बनने का ख्याल आया या कह लें कि शुरुआत हुई। अंगद को नहीं पता था कि इस तरह की फाइट में आप पैसे भी कमा सकते हैं या करियर का यह भी एक विकल्प हो सकता है. जब पता चला तो इसे संजीदगी से लेना शुरू किया और इसके बाद दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली. हालांकि, इसके लिए परिवार को मनाना काफी मुश्किल रहा. लेकिन धीरे धीरे अंगद सफलताओं के शिखर पर पहुंचे तो पिता मोहन सिंह भी बेहद खुश हैं।
2018 में सुपर फाइट लीग जीती, 2019 में ब्रेव कॉम्बेट फेडरेशन फाइट जीती, 2021 में मैट्रिक्स फाइट नाइट जीती, अब दुबई में फर्स्ट फ्लाइवेट चैंपियनशिप जीती..आज अंगद शानदार कमाई भी कर रहे हैं और उत्तराखंड का नाम भी रोशन कर रहे हैं। मार्शल आर्ट्स से करियर कैसे बनाया जाता है, ये कोई अंगद से पूछे। आज उत्तराखंड का ये बलवान बेटा देश विदेश में देवभूमि का नाम रोशन कर रहा है। एक वक्त था जब बच्चों को खेलों से इतर दूसरे क्षेत्रों में करियर बनाने की सलाह दी जाती थी, लेकिन पहाड़ के होनहार युवा खेलों के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर इस सोच को बदल रहे हैं। ये जानकर गर्व होता है।
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